Friday 23 November, 2007

जो मिल नहीं पाया है

जो मिल नहीं पाया है,
वह मैंने भुलाया है।
जो लिपट गया मुझसे,
अधरों से लगाया है।
जो कहना कठिन है,
गा-गा के सुनाया है।
जो रुक नहीं पाया है,
आँसू में बहाया है।
जो दिख नहीं पाया है,
सपनो में बुलाया है।

9 comments:

Unknown said...

सच!!

anuradha srivastav said...

एक रास्ता मुझे भी दिखाया है।

Anonymous said...

बहुत सार्थक अभिव्यक्ति .

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!!

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

बहुत सुंदर रचना

बालकिशन said...

अच्छी रचना है. आपको बधाई.

मीनाक्षी said...

जो रुक नहीं पाया है,
आँसू में बहाया है।
जो दिख नहीं पाया है,
सपनो में बुलाया है। ---- अक्सर ऐसा होता है और सपनों की दुनिया का आनन्द तो अलौकिक होता है.

अनूप शुक्ल said...

सहज, सरल सुन्दर कविता।

Anonymous said...

beautiful words