धन्यवाद कहने आऊँगी
आज नहीं मैं कल आऊँगी
धीरे-धीरे पथ पर चल कर
पग पग पर तेरा कर धर कर
रोम-रोम में तुझ को भर कर
कण-कण में तुझको ही लख कर
पूर्ण समर्पण भाव हृदय धर
तुमसे मैं मिलने आऊँगी
धन्यवाद कहने आऊँगी
तुमको याद किया है मैंने
क्षण-क्षण नमन किया है मैंने
घूम घूम परिक्रमा की है
रो-रो कर पात्र भरा है मैं ने
अर्घ्य दान करने आऊँगी
आज नहीं मैं कल आऊँगी