कहीं दान दिया
प्रतिदान लिया
कहीं माँग लिया
कहीं छीन लिया
कहीं हाथ बढ़ा कर उठा लिया
कहीं श्रद्धा से स्वीकार किया
कहीं ठिठक गए
कहीं बहक गए
कभी प्यार विषवमन करता है
कभी घृणा अमिय बरसाती है
Thursday, 15 November 2007
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6 comments:
वास्तव में; जीवन अनेक प्रकार से सरप्राइज देता है। पता नहीं सब सीधा सपाट क्यों नहीं होता।
बहुत बार होता है - बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख।
आपकी कविताऎं मात्र कविता नहीं वरन चिनगारियां हैं नयी सोच को जगाने के लिये.आपकी कुछ पंक्तियां मन में कुछ नयी पंक्तियों को जन्म दे जाती हैं.
सुन्दर रचना, जीवन के रंग दिखाती हुई।
सुन्दर रचना, जीवन के रंग दिखाती हुई।
क्या कंहू गजब लिखा है आपने. अद्भुत है. और सत्य भी.
कभी प्यार विषवमन करता है
कभी घृणा अमिय बरसाती है
ये पंक्तिया विस्मित कर रही है.
कहने के लिए कुछ बचा ही नही है।
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