Tuesday 8 January, 2008

नौका

इस तट पर क्यों नौका बाँधी
कब तक यहाँ ठहरना बाकी
नाम पता कोई यदि पूछे
परिचय अपना क्या दूँ साथी
मुझे बता दो आज सखे तुम
किस की नौका , कौन है साथी

11 comments:

जेपी नारायण said...

बांधों न नाव इस ठांव बंधु,
पूछेगा सारा गांव बंधु....

Anonymous said...

hanji,sahi hai,jeevan nauka meri apni,chalti hai nit din, chalne do,rokun na kahi bhich mein,ab more prabhu se mohe milne do.
behtarin.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर और गहरे भाव लिए है आप की रचना।

मुझे बता दो आज सखे तुम
किस की नौका , कौन है साथी

इस प्रश्न का उत्तर ना पानें के कारण ही तो सभी भटक रहे हैं।

कंचन सिंह चौहान said...

छायावाद का अनुपम उदाहरण होती है आपकी कविताए

अमिताभ मीत said...

मुझे बता दो आज सखे तुम
किस की नौका , कौन है साथी
बड़ा ही जटिल है. या यहाँ पहुँच कर सब सहज हो जाता है ?? आप की रचनाएं किसी और धरातल पे ले जाती हैं. बड़ा आभारी हूँ आप का.

अमिताभ मीत said...

मुझे बता दो आज सखे तुम
किस की नौका , कौन है साथी
बड़ा ही जटिल है. या यहाँ पहुँच कर सब सहज हो जाता है ?? आप की रचनाएं किसी और धरातल पे ले जाती हैं. बड़ा आभारी हूँ आप का.

Anonymous said...

प्रिय बिमला 'विभोर'जी
अपने ही नामके पिछे घुमते घुमते पता नही कैसे आपके ब्लगमे आगया जहाँ मैने जीवन देखा जैसे आपने देखा । कविताएँ पढी जो मनको छुगई और मे विभोर हुवा । मै नेपालका हुँ । जीवनमे पहली बार हिन्दीमे लिखरहा हुँ ।
मेरा नाम विभोर है जो मेरी माता ने मुझे दिया । मेरी माताका नाम बिमला है । अजिब संयोग है ।
I too write poems and love literature very much. I am an editor of Nepali Literary E-magazine www.tanneri.com. In coming issues of www.tanneri.com I will publish one of your poetry transleting it into Nepali. my email address is bibhorbaral@gmail.com.

Anonymous said...

आपकी कविता में एक ताज़गी है।फूल सी भीनी ह्ल्की और सागर सा गहरा जीवन दर्शन भी।
शुभेच्छा और प्रणाम.

Dr. Chandra Kumar Jain said...

प्रणाम !
याद आ गई निराला जी की कविता
बांधो न नाव .......पूछेगा सारा गाँव.
हृदयस्पर्शी रचना.

रंजना said...

वाह.....

सोनू उपाध्‍याय said...

आपकी कविताएं पढी.. जीवन अनुभव के सारे रंग इनके भीतर बहुत ही कम शब्‍दों मे आए हैं.. दिनों बाद इतनी सरल, सहज और जीवन सौंदर्य-दर्शन की कविताएं पढीं. मम्‍मीजी आपकी सारी ही रचनाएं भीतर तक आनंद उंडेलती हैं. आपको ईश्‍वर निरोगी, स्‍वस्‍थ और उर्जावान बनाएं रखें.. ढेर सारी बधाइयां..